भारत 2011 में बना तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 2005 में था 10वें स्थान पर
भारत महज छह साल में, 2011 तक जापान को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया हालांकि अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा जिसके बाद चीन का स्थान रहा. उल्लेखनीय है कि 2005 में भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. विश्व बैंक समूह से जुड़े अंतरराष्ट्रीय तुलना कार्यक्रम (आईसीपी) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक ‘‘जापान और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था अमेरिका के मुकाबले संकुचित हुई जबकि जर्मनी की अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ और फ्रांस और इटली उसी स्तर पर बरकरार हैं.’’ रिपोर्ट में कहा गया ‘तीन एशियाई अर्थव्यवस्थाओं- (चीन, भारत और इंडोनेशिया) की तुलनात्मक रेटिंग अमेरिका के मुकाबले दोगुनी हुई है जबकि ब्राजील, मेक्सिको और रूस की अर्थव्यवस्था में एक तिहाई या इससे अधिक का इजाफा हुआ.’
विश्व ने 2011 के दौरान 9,000 अरब डॉलर से अधिक की वस्तु और सेवा का निर्यात किया और इसमें से आधे का उत्पादन कम और मध्यम आय वाले देशों में हुआ.
आईसीपी के प्रमुख निष्कर्षों के मुताबिक विश्व की 12 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से छह मध्यम आय श्रेणी (विश्व बैंक की परिभाषा के मुताबिक) के हैं.
कहा गया कि कुल मिलाकर 12 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में विश्व की 59 प्रतिशत आबादी रहती है और इनका विश्व अर्थव्यवस्था में दो तिहाई योगदान है.
रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की खरीद शक्ति समानता (पीपी) पर आधारित वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद 90,647 अरब डॉलर है जो विनिमय दर के मुताबिक 70,294 अरब डॉलर रही.
पीपीपी के आधार पर मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 48 प्रतिशत योगदान रहा जबकि विनिमय दर के लिहाज से यह 32 प्रतिशत रहा.
चीन और भारत समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत योगदान रहा जबकि यूरोस्टैट-ओईसीडी का 54 प्रतिशत, लैटिन अमेरिका का 5.5 प्रतिशत (मेक्सिको और अर्जेंटीना को छोड़कर) और अफ्रीका और पश्चिम एशिया की हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत रही.
रिपोर्ट के मुताबिक ‘‘चीन और भारत का एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्था में योगदान दो-तिहाई रहा. इसमें जापान और दक्षिण कोरिया शामिल नहीं हैं क्योंकि ये ओईसीडी में शामिल हैं. सीआईएस में रूस की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है और लैटिन अमेरिका में ब्राजील का योगदान 56 प्रतिशत रहा. दक्षिण अफ्रीका, मिस्र और नाइजीरिया का अफ्रीकी अर्थव्यवस्था में करीब आधे का योगदान रहा.’’
विश्व के निवेश व्यय (सकल सुनिश्चित पूंजी निर्माण) में चीन की हिस्सेदारी सबसे अधिक 27 प्रतिशत जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत रही.
इनके बाद 7 प्रतिशत के साथ भारत, 4 प्रतिशत के साथ जापान और 3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इंडोनेशिया का स्थान है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में निवेश खर्च में चीन और भारत का योगदान करीब 80 प्रतिशत है.
विश्व का औसत प्रति व्यक्ति वाषिर्क व्यय करीब 10,059 डॉलर रहा. इसका अर्थ है कि आधी आबादी का प्रति व्यक्ति खर्च विश्वस्तर से नीचे है.
पांच अर्थव्यवस्थाओं - कतर, मकाउ, लग्जमबर्ग, कुवैत और ब्रुनेई - का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद सबसे अधिक है.
आईसीपी रिपोर्ट के मुताबिक पहले दो देशों की अर्थव्यवस्थाओं का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1,00,000 डॉलर है. ग्यारह अर्थव्यवस्थाओं की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 50,000 डॉलर है जबकि वैश्विक आबादी में उनकी हिस्सेदारी 0.6 प्रतिशत से भी कम है.
अमेरिका प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में 12वें नंबर पर रहा. मालवी, मोजांबिक, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, नाजर, बुरुंडी जैसी आठ अर्थव्यवस्थाओं में प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1,000 डॉलर से कम है.
प्रति व्यक्ति वास्तविक वैयक्तिक खपत के लिहाज से बरमुडा, अमेरिका, केमैन द्वीप समूह, हांगकांग और लग्जमबर्ग सबसे अगो हैं.
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